शनिवार, 29 जुलाई 2023

मुंशी प्रेमचंद के जन्म दिवस पर (31 जुलाई )

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







प्रेमचंद  का  है  साहित्य,

दर्द  युक्त  मानवता  का।

एक    नमूना    प्रस्तुत है,

दर्द   युक्त  मानवता  का।।


हामिद दादी बिन चिमटा,

नित  रोटी  सेंकैं  चूल्हे में।

हामिद  नन्हा  बालक  था,

पर दर्द समझता दादी का।।


दो  पैसे  दिये  थे  दादी   ने,

जब अवसर आया मेले का।

मेले से लाया हामिद चिमटा,

दर्द     मिटाने    दादी    का।।


चिमटा जब देखा  दादी ने,

हामिद  के  दोनों  हाथों में।

मन में  वह आल्हादित थी,

पर अश्रु  भरे  थे आँखों में।। 


-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

बुधवार, 26 जुलाई 2023

आओ राम ले धनुष हाथ

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 







आओ राम  ले धनुष हाथ।

टंकार  लगा  दो  एक बार।।


जगह  जगह  रावण  जन्मे।

दस शीश काट दो एक बार।।


मानवता   है   सिसक   रही।

दानवता   सिर    उठा   रही।।


आओ  राम  ले  धनुष  हाथ।

टंकार   लगा   दो  एक  बार।।


लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

विप्र सुदामा - 7

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र






इसी   बीच  आ  धमके,

कान्हा  के  सीमा  प्रहरी।

पकड़ो पकड़ो धुनि आई,

शत्रु  देश  का है  जासूस।।


पकड़ सुदामा घसीट चले,

सुदामा  विनती  कर जोरे।

एक  प्रहरी  ने लट्ठ उठाया,

बोल  किसके  हो जासूस।।


कान्हा  हमारे थे  सहपाठी,

उज्जयिनी में थे साथ साथ।

संदीपनि   गुरु   आश्रम  में,

शिक्षा   पाई    साथ   साथ।।

 

सीमा प्रहरी ने मुक्त किया, 

सुदामा वाक कुशलता सुन।

अब कदम निकले तेजी से,

मुँह से निकले कृष्णा धुनि।।


उपानहि  नाहि  सुदामा के,

पथ   में   कंकड़  कांटे  थे।

मन  में  रम  रहे  कृष्णा थे,

फूल  बन   गये   कांटे   थे।।


लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


शनिवार, 22 जुलाई 2023

विप्र सुदामा - 6

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







 तिय  की  रट  थी  आठो याम।

जाओ द्वारिका जाओ द्वारिका।।


आधी धोती कटि पर बाँधे ।

आधी    कंधे     डाले   थे ।।


हाथ  में  साधे  टेढ़ी  लाठी।

बगल  में  कनकी  बाँधे  थे।।


अब चले द्वारिका बेमन से। 

धीरे     धीरे    कदमों    से।।


पथ  था  सघन  कानन से।

भय था  हिंसक पशुओं से ।।


सुदामा  मुँह   कान्हा  सुन।

हिंसक भी अहिंसक अब।।

 

प्यास में था मीठा झरना।

भूख में  खाये मीठे फल।।


भूल गये  पथ कानन में।

कैसे जाऊँ  द्वारिकापुरी।।

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©



शनिवार, 15 जुलाई 2023

प्रक्षेपण हुआ चंद्रयान तीन का

 -- अशर्फी लाल मिश्र,, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






प्रक्षेपण हुआ चंद्रयान तीन का,

दूरदर्शन पर भारत उमड़ पड़ा।

श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से,

 जब  दहाड़  लगाते  यान  उड़ा।।

एक तरफ थी करतल ध्वनि,

दूजे  गड़गड़ाहट   यान   की।

वैज्ञानिकों  की कड़ी  मेहनत,

भारत    के     सम्मान    की।।

इक  दिन  होगा  सपना पूरा,

मानव    जीवन    चांद   पर।

होटल   होंगे   बस्ती    होंगी,

रिश्ते     होंगे       चांद    पर।।

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।©


सोमवार, 10 जुलाई 2023

शैय्या हो गई भूमि पर

 लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






जीवन  का अवसान जान,

शैय्या  हो   गई  भूमि  पर।

मनु जीवन  यात्रा  पूर्ण हुईं, 

महाप्रयाण का था अवसर।।


सज  गया विमान था फूलों से,

मनु यमराज ने भेजा स्वयं उसे।

अब  शैय्या  हो गई  थी विमान,

महाप्रयाण    की    यात्रा    पर।।


परिजन  दे  रहे   विदाई  थे,

महाप्रयाणी था शान्त चित्त।

निर्विकार भाव से चल पड़ा,

महाप्रयाण  की  यात्रा  पर।।

-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©



विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...