लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
जीवन का अवसान जान,
शैय्या हो गई भूमि पर।
मनु जीवन यात्रा पूर्ण हुईं,
महाप्रयाण का था अवसर।।
सज गया विमान था फूलों से,
मनु यमराज ने भेजा स्वयं उसे।
अब शैय्या हो गई थी विमान,
महाप्रयाण की यात्रा पर।।
परिजन दे रहे विदाई थे,
महाप्रयाणी था शान्त चित्त।
निर्विकार भाव से चल पड़ा,
महाप्रयाण की यात्रा पर।।
-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
हर जीवन के अवसान की यही व्यथा- कथा या कहूँ सत्य कथा है 😔🙏
जवाब देंहटाएंरेणु जी ! आप का बहुत बहुत आभार।
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