-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
अशर्फी लाल मिश्र |
पूर्णिमा तिथि थी अषाढ़ मास की,
जब महर्षि व्यास ने जन्म लिया।
पिता इनके थे ऋषि पाराशर,
माता थीं सत्यवती निषाद पुत्री।।
नौका चालन के समय,
ऋषि मोहित हुये सत्यवती पर।
ऋषि ने अपने तपोबल से,
दिन में कुहासा प्रकट किया।।
गांधर्ब विवाह कर सत्यवती से,
कृष्ण द्विपायन का जन्म हुआ।
वशिष्ठ पौत्र कृष्ण द्विपायन,
दिव्य ज्ञान से पूरित थे।।
वेद अभी जो मौखिक थे,
संकलित कर लिपिबद्ध किये।
महाभारत के वे रचयिता थे,
पुराणों के थे रचनाकार।।
विद्वानों ने इनको व्यास कहा।
वेदों के थे वे व्याख्याकर।।
-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
कृष्ण द्वियापन ना होते तो विश्व वेद -वेदांत रुपी दिव्य ऋषि मेधा से वंचित रहता ।इतना बुद्धिमतापूर्ण संकलन आज कंप्यूटर युग में भी शायद सम्भव ना होता। वेद रचियता को कोटि- कोटि नमन ! बढिया लिखा है मिश्रा जी 🙏
जवाब देंहटाएंरेणु जी! आप का बहुत बहुत आभार।
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