शुक्रवार, 19 मई 2023

गद्दी के दावेदार

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


अशर्फी लाल मिश्र 







कोई बनता जाति शिरोमणि,

कहता हम  गद्दी के हकदार ।

कोई  गाये  यश  पुरखों  का ,

बन   जाये   गद्दी   दावेदार।।

कोई कहता  हम राजवंश से,

हम जनता के सच्चे पहरेदार।

दोनों  हाथों  से  रेवड़ी  बाँटे,

करते  जनता   की   मनुहार।।

जनता पर फेंके बहु विधि पाशा,

भाषण      होय     लच्छेदार।

मन  से  काले तन  से  उजले,

भाषण     होय      लच्छेदार।।

भ्रष्टाचार   हैं   मन   में   पाले।

चाहें    बन    जायें    पहरेदार।।

-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


बुधवार, 10 मई 2023

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 






जोड़ी

सदा सावधान रहिये, जोड़ी    रखिये   भाय।

वायस से सीखो इसे, 'लाल' कहत समझाय।।1।।

टहलना 

ऊषा कालहि घूमिये, श्वानहि की हो चाल।

देह   में  आये  फुर्ती, घूमे    ऊषा    काल।।2।।

शिक्षा 

अल्पहि भोजन से तुष्टि, कबहुँ न मांगे भीख।

स्वामि भक्ति अरु शूरता, श्वानहि से ही सीख।।3।।

-- लेखक एवं रचनाकार अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर कानपुर।©

शुक्रवार, 5 मई 2023

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 






भय

भय से डरिए ही सदा, जब तक आया नाहि।

सम्मुख आया होय भय, मार भगाओ ताहि।।1।।

वाणी

चतुर उसे ही जानिये, जो प्रिय वादी होय।

स्पष्ट वक्ता होय यदी, धोखा नाहीं कोय।।2।।

शून्य 

संतान बिन घर सूना, जनु मूरख बिन ज्ञान।

गरीबी होय  पास  में, मनु सूना  जग जान।।3।।

-- लेखक  एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

मंगलवार, 2 मई 2023

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







स्वर्ग 

पुत्र   होय  आज्ञाकारी, तिय हो मन अनुसार।

अल्प विभव से तुष्टि हो, यही  स्वर्ग  का सार।।1।।

राजनीति

गुंडे    दबंग    बढ़   रहे, राजनीति के साथ।

क्रिमिनल भी हैं जुड़ रहे, लिये  पोटली हाथ।।2।।

--लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...