-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
कोई बनता जाति शिरोमणि,
कहता हम गद्दी के हकदार ।
कोई गाये यश पुरखों का ,
बन जाये गद्दी दावेदार।।
कोई कहता हम राजवंश से,
हम जनता के सच्चे पहरेदार।
दोनों हाथों से रेवड़ी बाँटे,
करते जनता की मनुहार।।
जनता पर फेंके बहु विधि पाशा,
भाषण होय लच्छेदार।
मन से काले तन से उजले,
भाषण होय लच्छेदार।।
भ्रष्टाचार हैं मन में पाले।
चाहें बन जायें पहरेदार।।
-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
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