बुधवार, 29 जून 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






बंधु

बंधु   दिखें    गाढ़े   काम, या जो करता नेह।

जिमि बरगद की वायु जड़,पोषण करती देह।।1।।

लोकतंत्र

भ्रष्टाचार   दिन   दूना, मानवता का ह्रास।

समाज सेवा पास नहि,लोकतंत्र परिहास।।2।।

व्यर्थ

वर्षा   वृथा   समुद्र   में, धनकहि  देना  दान।

दिन में दीपक वृथा जनु, तृप्तहि भोजन मान ।।3।।

-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर,कानपुर ।

रविवार, 26 जून 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 -अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






यथार्थ

रूप    यौवन     संपन्ना, होय जु विद्या हीन।

बिना गन्ध किंशुक यथा, दिखे    रंग  रंगीन।।1।।

निन्दा

गुणी की निंदा तब तक, जब तक नहि गुण भान।

भीलनि रुची गुंजा फल, नहि  गज  मुक्ता   ज्ञान।।2।।

विश्वास

मीत कुमीत दोऊ का, मत कीजे विश्वास।

मीत कबहूँ कुपित भयो, करे भेद परकास।।3।।

--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।

-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

शनिवार, 11 जून 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 






लक्ष्मी

चंदन  निज  कर   से   घिसे, माला   गूंथे   हाथ।

स्तुति लिखे जो निज कर से, लक्ष्मी रहती साथ।।1।।

महत्त्व

बूंद बूंद  से घट भरे, शब्द शब्द से ज्ञान।

मात्र एक ही वोट से,सत्ता पाय सुजान ।।2।।

धन

मीत बंधु चाकर सभी, त्यागैं लख धनहीन।

धनहि देख सब हों निकट, धन ही श्रेष्ठ प्रवीन।।3।।


--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


सोमवार, 6 जून 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र






दुख

घरनि  मरै  बुढ़ापे में, धन हो  भ्राता हाथ।

भोजन होय पराधीन, दुखड़ा केवल साथ।।1।।

आभूषण

गुण आभूषण रूप का,कुल  का मानौ शील।

विद्या भूषण सिद्धि का,  धन होय क्रियाशील।।2।।

कुल

ऊँचा कुल किस काम का, जिसके विद्या नाहि।

विद्या   जिसके  पास   हो, कुल मत पूंछो ताहि।।3।।

--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर।

शनिवार, 4 जून 2022

खतरा कैंसर का : विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून)

 - अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र





 


कीट नाशक का परिणाम,

थाली हो रही जहरीली।

गेहूं चना या अन्य अनाज,

हर रोटी हो रही जहरीली।

आलू पालक हो अन्य ,

अब तो हर सब्जी जहरीली।

आम नीबू  हो या केला, 

कारबाइड से हर फल जहरीला।

ऑक्सीटोसिन से हो रहा

चाय का प्याला जहरीला।

जगह जगह कूड़ों के ढेर,

अब हर सांस है जहरीली।

बढ़ गया है खतरा कैंसर का,

हर खाद्य पदार्थ है जहरीला।

-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।©







गुरुवार, 2 जून 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






अंधा

कुछ हों गरज पर अंधे , कुछ होते कामांध।

कुछ मद में अंधे दिखें, कुछ होते जन्मांध।।1।।

शत्रु 

वैरी  सदा  ऋणी  जनक, मूरख पुत्र को जान।

व्यभिचारिणी हो जु मातु, सुन्दर तिय अनुमान।।2।।

धन

समाज में जीवित वही, हो धन  जिसके पास।

मीत  बंधु हों  पास में , दिखे  गुणो का बास।।3।।

--अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।


विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...