शनिवार, 30 जुलाई 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 - अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र






आवास 

झोपड़ि अच्छी महल से, जो आपनि कहलाय ।

जिमि बया बनाये   नीड़, मन  में अति हरसाय ।।1।।

माता

मां  सम  कोई  देव  नहि, अन्न समान  न दान।

पीपल सम कोइ तरु नहि, जनु जीवन वरदान।।2।।

- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।



बुधवार, 20 जुलाई 2022

नीति के दोहे -वर्षा

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






धरती प्यासी जान के ,जलघर पहुंचे धाय।

जलधर बरसे झूम के ,धरा मगन हो जाय।।1।।

जलधर  देखे गगन में,  केकी   हर्षित  होय।

जलधर बरसे  झूम के, कृषक मगन हो जाय।।2।।

प्रेम  धरा   का  मेघ   से, विधि ने दिया बनाय।

जब भी भू व्याकुल दिखे, घन  गरजे  हरसाय।।3।।

-- लेखक एवं रचनाकार -अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

सोमवार, 18 जुलाई 2022

मुझे बना दो श्वेत शिला

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







मुझे बना दो श्वेत शिला,

तराशा जाऊँ धीरे धीरे।

शिल्पी मुझे ऐसे तराशे,

मैं मुस्काऊं  धीरे  धीरे।।


ऐ शिल्पी तू मुझे बना दे,

देवालय   का   महादेव!

नित जल से स्नान करूँ,

घोष होय  जय महादेव!

लेखक एवं रचनाकार :  अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©



रविवार, 17 जुलाई 2022

पीपल की पतलइयाँ

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर

अशर्फी लाल मिश्र







मैं   चाहूँ    बन    जाऊँ,

पीपल   की    पतलइयाँ।

आकर  कुछ  काल ठहरें,

श्रमित पथिक मोरी छइयाँ ।।


पवन   से   विनती    मेरी,

तू    चल      धीरे      धीरे।

पथिक   को  आये झपकी,

जब   आये    मेरी    छइयाँ ।।

-- लेखक एवं रचनाकार :  अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।

अशर्फी लाल मिश्र

चाह

अधम केवल धन चाहे, ज्ञानी  चाहे  मान।

नेता  को  कंचन कीर्ति, पाठक चाहे ज्ञान।।1।।

सरस्वती

रमा   का   वाहन उल्लू, हंस  जान  वागीश।

जाके कंठ गिरा बिराजे, कृपा जान जगदीश।।2।।

लेखक एवं रचनाकार - अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

रविवार, 10 जुलाई 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






सरस्वती वंदना

विनती वीणा पाणि से, देहु हमें आशीष।

शब्दों के  गठजोड़  से, कहलाऊँ वागीश ।।1।।

अपमान

बिना मान मरिबो भलो, दुखड़ा इक पल जान।

बिना मान जीवन सदा, पल पल दुख अनुमान।।2।।

कपट

छल छद्म होय यदि पास,दूरी रखिए खास।

निकट  के  रिश्ते भले हि, मत करियो विश्वास।।3।।

--लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।©


रविवार, 3 जुलाई 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






स्वास्थ्य

झाग  हटा  हल्दी डाल, तब ही दाल उबाल।

गठिया पथरी होय कम, दुपहर  खाए  दाल।।1।।

सुख

मोह सरिस कोइ शत्रु नहि, काम सरिस नहि रोग।

क्रोध  सरिस  पावक  नहीं,ज्ञान सरिस सुख भोग।।2।।

सामर्थ्य

नेता क्या नहि कर सके, कवि को क्या न लखाय।

क्या न शराबी बक सके, कागा  क्या  नहि  खाय।।3।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश।©


विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...