--अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
सरस्वती वंदना
विनती वीणा पाणि से, देहु हमें आशीष।
शब्दों के गठजोड़ से, कहलाऊँ वागीश ।।1।।
अपमान
बिना मान मरिबो भलो, दुखड़ा इक पल जान।
बिना मान जीवन सदा, पल पल दुख अनुमान।।2।।
कपट
छल छद्म होय यदि पास,दूरी रखिए खास।
निकट के रिश्ते भले हि, मत करियो विश्वास।।3।।
--लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।©
सुंदर दोहे , आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ।
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