रविवार, 3 जुलाई 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






स्वास्थ्य

झाग  हटा  हल्दी डाल, तब ही दाल उबाल।

गठिया पथरी होय कम, दुपहर  खाए  दाल।।1।।

सुख

मोह सरिस कोइ शत्रु नहि, काम सरिस नहि रोग।

क्रोध  सरिस  पावक  नहीं,ज्ञान सरिस सुख भोग।।2।।

सामर्थ्य

नेता क्या नहि कर सके, कवि को क्या न लखाय।

क्या न शराबी बक सके, कागा  क्या  नहि  खाय।।3।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश।©


19 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 05 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर ज्ञान परक सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. नेता क्या नहि कर सके, कवि को क्या न लखाय।
    क्या न शराबी बक सके, कागा क्या नहि खाय।
    –सत्य कथन
    –गज़ब

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!!
    बहुत ही सारगर्भित सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  5. ये तो अच्छी सीख देते दोहे हैं ..... आभार

    जवाब देंहटाएं

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...