--अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
स्वास्थ्य
झाग हटा हल्दी डाल, तब ही दाल उबाल।
गठिया पथरी होय कम, दुपहर खाए दाल।।1।।
सुख
मोह सरिस कोइ शत्रु नहि, काम सरिस नहि रोग।
क्रोध सरिस पावक नहीं,ज्ञान सरिस सुख भोग।।2।।
सामर्थ्य
नेता क्या नहि कर सके, कवि को क्या न लखाय।
क्या न शराबी बक सके, कागा क्या नहि खाय।।3।।
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश।©
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 05 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
यशोदा जी! बहुत बहुत आभार ।
हटाएंबहुत सुन्दर ज्ञान परक सृजन ।
जवाब देंहटाएंमीना जी ! आप का बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंबहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंअनुराधा जी ! बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंनेता क्या नहि कर सके, कवि को क्या न लखाय।
जवाब देंहटाएंक्या न शराबी बक सके, कागा क्या नहि खाय।
–सत्य कथन
–गज़ब
शुक्रिया विभा रानी !
हटाएंप्रेरक ज्ञान देती रचना
जवाब देंहटाएंआप का बहुत आभार ।
हटाएंवाह! बहुत सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंशुभा जी ! आप का बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंबहुत अच्छी दोहावली
जवाब देंहटाएंकविता जी आप का हृदय से आभार।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सारगर्भित सृजन।
सुधा जी ! आप का बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंये तो अच्छी सीख देते दोहे हैं ..... आभार
जवाब देंहटाएंसंगीता जी ! आप का बहुत बहुत शुक्रिया।
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