बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

अध्यात्म पर दोहे

 -अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






(भारतीय दर्शन)

उड़ जा  पंछी  उस देश, जहां न राग न द्वेष।

जँह पर कोई नहि भेद,ऐसा   है  वह   देश।।1।।

शीतल मन्द पवन सदा, ताप नहीं उस देश।

बसिये   ऐसे   देश   में, रोग जरा नहि शेष।।2।।


कवि : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

उड़ जा पंछी अनंत पथ पर

 -अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






उड़ जा पंछी अनंत पथ पर,

छोड़   दे    अपना    नीड़।

ऐसे  उड़िये  उड़ते   जाओ,

स्वयं बना लो अपना नीड़।।

चमको ऐसे विश्व पटल पर,

जैसे  चमकें चांद  सितारा।

अडिग रहो अपने  पथ पर,

जैसे  रहता  है  ध्रुव   तारा।।

कितने भी आयें  झंझावात,

अडिग रहो  शिला बन कर।

मातृ भूमि का मान सदा उर में,

बढ़ जाओ  अग्र दूत  बन कर।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

आज यहां कल वहां है डेरा

 कवि: अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र






आज यहां कल वहां है डेरा,

कोउ नहिं जाने  कहां सबेरा।

कभी     मातु     की    गोद,

कभी  किलकारी  आंगन में।

कभी    भ्रात      के    साथ,

कभी     इकला    बागन में।

सारा   जीवन   ऐसे    बीता,

जैसे  गली   गली    बंजारा।

आज यहां  कल  वहां  है डेरा,

कोउ नहि  जाने  कहां  सबेरा।

कोउ नहि  जाने  इस  जग में,

कब कौन किसका बने सहारा।

जीवन  जन्म-मरण   का  फेरा,

आज  यहां  कल  वहां  है डेरा।

Author : Ashrafi Lal Mishra, Akbarpur,Kanpur .

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

सुनहरी साड़ी में लिपटी

 कवि : अशर्फी लाल मिश्र


अशर्फी लाल मिश्र






सुनहरी साड़ी में लिपटी,

प्राची खड़े खड़े मुस्काये।

देख धरा पर बिखरे मोती,

प्राची खड़े खड़े मुस्काये।।


पात पात  पर बिखरे मोती,

कलियाँ  धीरे   से  मुस्काएं।

अचानक आ  धमका माली,

गुम हो गई प्राची की लाली।।


सहस्त्र करों से समेट मोती,

अट्टहास  कर  रहा   माली।

प्राची हो गई अब उदास,

उल्टे पांव निज निवास।।


कलियाँ थीं अब तक बाचाल,

अब   इकटक  देखें    माली।

माली देखें  इकटक  कलियाँ,

खुशी में फूली सारी कलियाँ।।


-रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।





बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

नीति के दोहे मुक्तक

  --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र








चीनी मैदा मन्द विष, कम करिये उपयोग।

हो जाय हाजमा मन्द,होय शुगर का योग।।


तेल उबले प्रथम बार,ताही में पकवान।

उबले तेल बार बार, उसमें कैंसर जान।।


 --अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर,कानपुर।

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

पैरों में लगी महावर आज

 --अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र






बसंत भी आ धमका,

दल  बल  के   साथ।

सुरभित  पवन    भी ,

दे रहा उसका साथ।।


अवनि आज पीत बसना,

मुदित हो रही साथ साथ ।

टेसू   उत्सुक  दिखें आज,

केसरिया झंडा लिए हाथ।।


घर  घर   में  उत्सव  दूना,

बन  रहीं   रंगोली  आज।

युवतियां दिखें पीत बसना,

पैरों में लगी महावर आज।।


--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।



बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

उठो पंख फैलाओ

 -अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






उठो पंख फैलाओ ,

छू लो नभ के तारे।

चमको ऐसे जग में,

बन के चांद सितारे।।


भू पर होये भोजन,

शयन चांद पर होये।

ओज  होय  मन  में,

मुट्ठी  में  जग   होये।।


करिये जग में ऐसा काम,

हो होंठो  पर  तेरा  नाम।

मातृ भूमि का सिर ऊंचा,

करिये जग में ऐसा काम।।


--अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर।




विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...