सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

उड़ जा पंछी अनंत पथ पर

 -अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






उड़ जा पंछी अनंत पथ पर,

छोड़   दे    अपना    नीड़।

ऐसे  उड़िये  उड़ते   जाओ,

स्वयं बना लो अपना नीड़।।

चमको ऐसे विश्व पटल पर,

जैसे  चमकें चांद  सितारा।

अडिग रहो अपने  पथ पर,

जैसे  रहता  है  ध्रुव   तारा।।

कितने भी आयें  झंझावात,

अडिग रहो  शिला बन कर।

मातृ भूमि का मान सदा उर में,

बढ़ जाओ  अग्र दूत  बन कर।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

13 टिप्‍पणियां:

  1. हौसला बढ़ाती हुई बहुत ही शानदार रचना

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  2. शानदार टिप्पणी के लिए मनीषा जी का आभार।

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  3. प्रेरक उद्बोधन देती रचना।
    सुंदर सार्थक।

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  4. आशा और प्रेरित देते भाव ... बहुत सुन्दर रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  5. आप का हृदय से बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. अनीता जी आप का बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं

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