-अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
(भारतीय दर्शन)
उड़ जा पंछी उस देश, जहां न राग न द्वेष।
जँह पर कोई नहि भेद,ऐसा है वह देश।।1।।
शीतल मन्द पवन सदा, ताप नहीं उस देश।
बसिये ऐसे देश में, रोग जरा नहि शेष।।2।।
कवि : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख से जब सूना, दर्शन करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...
बहुत बहुत हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंकाश! ऐसा हो पाता
जवाब देंहटाएंविभा जी ! स्वर्ग की कल्पना मात्र। यही भारत का दर्शन है। आभार सहित।
हटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंभारती जी का बहुत बहुत आभार।
हटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंआभार।
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