मंगलवार, 28 मार्च 2023

जब जन्मे अवध बिहारी

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 






चैत   महीना  शुक्ल   पक्ष,

जब  जन्मे  अवध बिहारी।

मध्यान्ह समय तिथि नवमी,

जब  जन्मे  अवध  बिहारी।।

दिनपति  गति थम सी गई,

जब  जन्मे  अवध  बिहारी।

महल कौशल्या थाली बाजे 

जब   जन्मे  अवध  बिहारी।।

युवती जन  सब थिरक रहे,

जब  जन्मे   अवध  बिहारी।

जब  खबर   मिली   राजहि,

कौशल्या जन्मा इक लाला।।

दासी  दियो है  मुतियन माला,

 दासी  कह्यौ अद्भुत है  लाला।

राजा ने खोला अपना खजाना,

सब  को  बाँटे मुतियन  माला।।

-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


बुधवार, 15 मार्च 2023

सिकुड़ रहे हैं रिश्ते आज

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 







सिकुड़  रहे  हैं  रिश्ते  आज,

छोटे कुटुम्ब की लहर आज।

राखी  में रहती सूनी  कलाई,

नाहीं   बहना   अपनी  आज।।

होली  आई  उल्लास भरी,

बिनु भौजी घर सूना आज।

कौन  लगाये   रंग  महावर,

घर  में  नाहीं  भौजी  आज।।

भैया  दूज  का  पर्व  अनूठा,

नाहीं   बहना   अपनी  आज।

कौन   लगाये   भाल  तिलक,

नाहीं   बहना  अपनी   आज।।

बहना  लिये   है  राखी  हाथ,

नाहीं   भैया   अपना   आज।

भैया   दूज  को   थाल  सजा,

भैया   नाहीं   अपना    आज।।

-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

मंगलवार, 14 मार्च 2023

पीछे पीछे वृषभानु लली

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर,कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







खेलत  खेलत  एक दिवस,

कान्हा पहुँचे वृषभानु गली।

देख  दुवारे  वृषभानु   खड़े,

कान्हा  पूंछे  वृषभानु  लली।।


कान्हा   द्वार   पुकार   रहे,

बाहर   आओ   मेरी  लली।

बाहर आई  वृषभानु  लली,

खेलन  चलिहौ  मेरी  गली।।


ताही समय अधराधार वंशी,

गूँज    गई   वृषभानु।  गली।

आगे आगे कान्हा  चलि  रहे,

पीछे   पीछे   वृषभानु   लली।। 

--©लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

शुक्रवार, 10 मार्च 2023

होली की मस्ती

 -- अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र








फागुन में खिले टेसू के फूल,

फूलों  में  सुंदर टेसू  के फूल।

फागुन की हवा अकड़ते अंग ,

सबको चढ़ता  होली  का रंग।।


दादी  थिरक  रहीं अंगना में,

दादा    मारे   रंग पिचकारी।

बिटवा    ढोल   बजाय   रहे,

बहुएं    थिरकें    दे      तारी।।


पोता-पोती    रंग    उड़ाएं,

उछलें      दे       दे   तारी।

घर-घर बाजैं  ढोल मंजीरा,

घर-घर      उत्सव    भारी।।

-- लेखक एवं रचनाकार, अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।






विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...