-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
अशर्फी लाल मिश्र |
चैत महीना शुक्ल पक्ष,
जब जन्मे अवध बिहारी।
मध्यान्ह समय तिथि नवमी,
जब जन्मे अवध बिहारी।।
दिनपति गति थम सी गई,
जब जन्मे अवध बिहारी।
महल कौशल्या थाली बाजे
जब जन्मे अवध बिहारी।।
युवती जन सब थिरक रहे,
जब जन्मे अवध बिहारी।
जब खबर मिली राजहि,
कौशल्या जन्मा इक लाला।।
दासी दियो है मुतियन माला,
दासी कह्यौ अद्भुत है लाला।
राजा ने खोला अपना खजाना,
सब को बाँटे मुतियन माला।।
-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
सुधा जी ! आप का बहुत बहुत आभार।
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