मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

बैशाखी के त्यौहार पर

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 







 बैशाखी    के    त्यौहार    पर,

भीड़ जुटी जलियाँवाले बाग में।

जनरल   डायर  का  था  कर्फ्यू,

नहिं   उत्सव   होगा  पंजाब  में।।


दस  फीट   ऊँची   बाढ़  लगी थी,

जलियाँवाले          बाग         में।

एक   तरफ    था  जश्न  बाग   में, 

दूजे   बरस   रही   थीं    गोलियाँ।।


ऊँचे  पर  थी डायर  की सेना,

जँह से बरस रही थीं गोलियाँ।

लाशों पर लाशें बिछी  हुई  थी,

अब   जलियाँवाले    बाग   में।।


रुधिर प्रवाह से बना  सरोवर,

लाशें  तैर  रही  थीं   बाग  में।

क्रूर डायर का फायर बंद नही,

जब तक अंतिम गोली पास में।।


अब  था  सारा  भारत दुखी, 

इस   नर  संहारी  घटना  से।

नाइट  हुड   पदवी   लौटाई, 

बंगाली     कवि   टैगोर    ने।।

-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।©


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