बुधवार, 29 दिसंबर 2021

शैया डूबी मनो हिमंचल

 कवि : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र






पौष मास शीत अति कड़क,

कुहासा पहुंचा अपनी धमक।

भय कुहासा रविकर कम्पन,

बाल  रवि  कर   रहा  वंदन।।


लगा   कुहासा  अब  कर्फ्यू,

अब  रथ दिनकर लौट गया।

सड़कों  पर  अब नहीं भीड़,

पक्षी छिप गये अपने नीड़।।


लकड़ी कोयले का अभाव,

नहीं दिखते जलते अलाव।

बूढ़ों में  नहिं कोई हलचल,

शैया  डूबी  मनो  हिमंचल ।।

-अशर्फी लाल मिश्र 

         ***



सोमवार, 27 दिसंबर 2021

दोहे राजनीति पर

 द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 





       

                        दोहे 

1 - उत्सव होइ चुनाव का , बजैं जाति के ढोल। 

      खाई जनता में बढ़े , सुन सुन कड़ुवे  बोल।। 

2 - जातिवाद अभिशाप है , लोकतंत्र के देश। 

     समाज सेवा होइ नहि ,जातिय झंडा शेष।।


कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 



रविवार, 26 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






काला धन

काले धन  में वह शक्ति, सत्ता    देय   हिलाय।

देश  खोखला  साथ  में, छवि मलीन हो जाय।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर,कानपुर।

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






स्याही विष अखबार की,शरीर घातक जान।

उस पर मत रखिये खाद्य,जो चाहो कल्यान।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा:अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






वाणी जिसकी मधुर नहि,आगत  आदर नाहि।

भले  हि  राजा  देश  का ,मत घर जाओ ताहि ।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

सोमवार, 20 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 




  


                    दोहा 

अपने रिश्ते हैं वही , दुःख में आयें काम।  

 भूलहु  रिश्ते खून के,यदि होयें  बेकाम।। 


कवि:अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






दोहा

राजनीति में आज है, जातीयता     प्रचंड।

कैसे मिटै  समाज में,कौन विधि खंड खंड।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

शनिवार, 18 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






                दोहा

माता होय प्रथम गुरू, दूजा गुरु पितु मान।

औपचारिक देय ज्ञान,अन्य  गुरु उसे जान।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।



शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (18 दिसंबर)

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 










दोहा :

आज  अल्पसंख्यकों में ,दिखता  हर्ष अपार। 
भाषा जाति संस्कृति का, है विशेष अधिकार।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

बुधवार, 15 दिसंबर 2021

विजय दिवस (16 दिसंबर )

अशर्फी लाल मिश्र 








 दोहा 
विजय दिवस के पर्व पर ,हर्षित सारा देश। 
भारत अपनी शक्ति का ,दे दुश्मन सन्देश।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

शनिवार, 11 दिसंबर 2021

दोहे फ़ास्ट फ़ूड पर

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 






 



दोहे फ़ास्ट फ़ूड पर 

                
 नीरोगी काया बने,फ़ास्ट फ़ूड का त्याग। 
शरीर  में फुर्ती रहे , आलस   जाए  भाग।।

               
फ़ास्ट फ़ूड से हो रही , युवा शक्ति कमजोर। 
सेना पुलिस  भर्ती में ,खोजें   रिश्वत    खोर।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

बुधवार, 8 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

Asharfi Lal Mishra










विश्व मानवाधिकार दिवस (10  दिसंबर )

अनेकता में एकता, राष्ट्र  की यह पुकार। 
अर्थ होये या समाज, हो उन्नति अधिकार।।

                    समर्थ 

समर्थ सदा उसे कहें,घमण्ड पास न कोय। 
महिला वृद्ध बच्चों की, सुरक्षा करता होय।।


कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 


सोमवार, 6 दिसंबर 2021

सशस्त्र सेना झंडा दिवस (7 दिसंबर)

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

Asharfi Lal Mishra






दोहा: दल सशस्त्र झंडा दिवस, खुलकर दीजै दान।

        शहीद   अपंग   परिवार, होय महा  कल्यान ।।


कवि:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

रविवार, 5 दिसंबर 2021

ओमीक्रोन वायरस

 द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र


Asharfi Lal Mishra






ओमीक्रोन वायरस

कोरोना    ओमीक्रोन , सदा ही सावधान।

मॉस्क अरु दूरी रखना,केवल एक निदान।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर,कानपुर।

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

नीति के दोहे (फ़ास्ट फ़ूड)

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






फ़ास्ट फूड (Fast food)


फ़ास्ट फ़ूड  सेवन करे, ताहि मुटापा होय।

शरीर का पौरुष घटे, रोग अस्थमा सोय।।


©कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर,कानपुर।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






चिंता

ज्यादा चिंता जो करै, रक्त चाप बढ़ जाय।

बिनु अग्नी जीवित जलै, जग में होत हसाय।।

भ्राता

बड़ा भ्राता पिता तुल्य,छोटा पूत समान।

भ्राता से न बैर कभी, दौलत ओछी जान।।


©कवि :अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर,कानपुर।

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...