--अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
बसंत भी आ धमका,
दल बल के साथ।
सुरभित पवन भी ,
दे रहा उसका साथ।।
अवनि आज पीत बसना,
मुदित हो रही साथ साथ ।
टेसू उत्सुक दिखें आज,
केसरिया झंडा लिए हाथ।।
घर घर में उत्सव दूना,
बन रहीं रंगोली आज।
युवतियां दिखें पीत बसना,
पैरों में लगी महावर आज।।
--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
सुन्दर sri
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार रचना है sir
जवाब देंहटाएंआज आपको पहली बार पढा। बहुत अच्छा लगा।
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बहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत बहुत हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना सर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंबसंत के रंगों से सराबोर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी।
हटाएंधन्यवाद।
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