-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
मुझे बना दो श्वेत शिला,
तराशा जाऊँ धीरे धीरे।
शिल्पी मुझे ऐसे तराशे,
मैं मुस्काऊं धीरे धीरे।।
ऐ शिल्पी तू मुझे बना दे,
देवालय का महादेव!
नित जल से स्नान करूँ,
घोष होय जय महादेव!
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
ॐ नमः शिवाय
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी !
हटाएंबहुत ही उम्दा लेखन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका।
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