शुक्रवार, 9 जून 2023

भाई हो तो लक्ष्मण जैसा

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






भाई हो तो  लक्ष्मण जैसा,

 भ्रात हेतु सुख त्याग दिये।

हुआ था  वनवास राम का,

लक्ष्मण ने सुख त्याग दिये।।


हुआ वन  गमन राम का,

लक्ष्मण चल पड़े साथ में।

रक्षा  प्रण  लेकर  मन  में,

धनुष वाण थे साथ लिये।।


आगे आगे राम चलत हैं,

पीछे  पीछे   शेषावतारी।

मध्य सोहैँ जनक नंदिनी,

हो  पुष्पों  की वर्षा भारी।।

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

4 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 56

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