लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
इसी बीच आ धमके,
कान्हा के सीमा प्रहरी।
पकड़ो पकड़ो धुनि आई,
शत्रु देश का है जासूस।।
पकड़ सुदामा घसीट चले,
सुदामा विनती कर जोरे।
एक प्रहरी ने लट्ठ उठाया,
बोल किसके हो जासूस।।
कान्हा हमारे थे सहपाठी,
उज्जयिनी में थे साथ साथ।
संदीपनि गुरु आश्रम में,
शिक्षा पाई साथ साथ।।
सीमा प्रहरी ने मुक्त किया,
सुदामा वाक कुशलता सुन।
अब कदम निकले तेजी से,
मुँह से निकले कृष्णा धुनि।।
उपानहि नाहि सुदामा के,
पथ में कंकड़ कांटे थे।
मन में रम रहे कृष्णा थे,
फूल बन गये कांटे थे।।
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
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