-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
तिय की रट थी आठो याम।
जाओ द्वारिका जाओ द्वारिका।।
आधी धोती कटि पर बाँधे ।
आधी कंधे डाले थे ।।
हाथ में साधे टेढ़ी लाठी।
बगल में कनकी बाँधे थे।।
अब चले द्वारिका बेमन से।
धीरे धीरे कदमों से।।
पथ था सघन कानन से।
भय था हिंसक पशुओं से ।।
सुदामा मुँह कान्हा सुन।
हिंसक भी अहिंसक अब।।
प्यास में था मीठा झरना।
भूख में खाये मीठे फल।।
भूल गये पथ कानन में।
कैसे जाऊँ द्वारिकापुरी।।
-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
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