बुधवार, 4 मई 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






पवन 

शीतल मंद पवन सदा, सब को अधिक सुहाय ।

वही पवन अति वेग से , नहि काहू मन भाय।।1।।

भाषा 

गरम बात से खिन्न मन, गरम वात से गात ।

दोनों से तन मन दुखी , दिन होये या रात।।2।।

अपनों के मध्य

पशु पक्षी भी खुश होयें, पाकर अपना झुण्ड ।

जो खुश होता नहि दिखे , वह हैं शिला खण्ड।।3।।


- अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 05 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. तीनों नीतिपरक दोहे बहुत ही अच्‍छे लगे।

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    1. शानदार टिप्पणी के लिए कविता जी को बहुत बहुत आभार.

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  3. उर्मिला जी! आप का हृदय से आभार.

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  4. शिला खंड की सटीक परिभाषा।

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विप्र सुदामा - 40

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