शनिवार, 31 दिसंबर 2022

गुन गुनी धूप

 -- अशर्फी लाल मिश्र


अशर्फी लाल मिश्र 







बैठ लो कुछ क्षण

गुन गुनी धूप में,

आ रहा कुहरे का शासन

फिर मिली न मिली

- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।


बुधवार, 14 दिसंबर 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943------)







पिता जिसका रत्नाकर, बहन  लक्ष्मी  होय।

ऐसा शंख होय भिक्षुक, भीख न देता कोय।।1।।

सौ  सुत  से  उत्तम   एक , जो  होवे  वागीश।

जिमि इक चंदा तिमिर हर, कहलाये रजनीश।।2।।

प्रसंगानुसार      भाषण,शक्ति अनुसार क्रोध।

प्रकृति के अनुकूल प्रिय, बुद्धिमान कह शोध।।3 ।।

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।


मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 


निन्दित कर्म करता जो, अरु पाछे पछताय।

ऐसी  बुद्धि   कर्म   पूर्व, दौलत  घर में आय ।।1।।

जाको प्रिय मीठा वचन, ताही सों प्रिय बोल।

 मृगहि हनन को व्याध भी, गावै मधुर अमोल।।2।।

अग्नि  गुरु  राजा  नारी, मध्यावस्था       सेय।

निकट होये विनाश भय, दूरहि फल नहि देय।।3।।

ऊँचे  आसन   से   नहीं, गुण से उत्तम जान।

मन्दिर शिखर पर कागा, नाहीं गरुड़ समान।।4।।

-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...