रविवार, 26 जुलाई 2020

नीति के दोहे(मुक्तक)

© कवि:अशर्फी  लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर

 
 याचना
   
याचक खड़ा बजार में,मांगे सबसे भीख।
हर कोई    मुँह     फेरै, नाहीं देता भीख।।

   ऐ भिखारी  तू सुन  ले,  जा उस  दाता  पास।
      जिसकी झोली है भरी, न याचक हो निरास।।

                    मीडिया
                 मीडिया   खड़े  पुकारे,चाहे  लेव खरीद।
                 धनवानों के दास हम, नेता हुए मुरीद।।

                  स्वभाव
                 विषधर नाहि त्यागै विष, भले हि दूध नहाय।
                  जोगी  तोड़ै   दन्त  जब, नाग  हाथ में आय।। 
 

गुरुवार, 16 जुलाई 2020

हर कोइ दिखता है खामोश (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर
           (1)
वही है  चेहरा  वही परिवेश,
वही   कुटुम्ब   वही  पड़ोस।
हर  गतिविधि सीमित आज,
हर कोइ दिखता है खामोश।।
            (2)
जिसने कभी न पीड़ा जानी,
का  जानै  पर  पीर   पराई।
जाके घर  बेटी  नहिं जनमी,
का   जानै    बिदा   बिदाई।।

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

नीति के दोहे(मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र










नेता
परिवार का कद ऊँचा,सोहरत साथ होय।
मीडिया को लेय साथ, नेता बनता सोय।।
शत्रु
रिपु को मत छोटा मान,मत देखो आकार।
समय पाकर चींटी भी,करती गज पर वार।।
घर का शत्रु
चुगुल चोर होय  घर का,कबहुँ  न रोका जाय।
न करियो  विश्वास ताहि, भले हि तीरथ जाय।।

विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...