© कवि:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर
याचना
याचक खड़ा बजार में,मांगे सबसे भीख।
हर कोई मुँह फेरै, नाहीं देता भीख।।
ऐ भिखारी तू सुन ले, जा उस दाता पास।
जिसकी झोली है भरी, न याचक हो निरास।।
मीडिया
मीडिया खड़े पुकारे,चाहे लेव खरीद।
धनवानों के दास हम, नेता हुए मुरीद।।
स्वभाव
विषधर नाहि त्यागै विष, भले हि दूध नहाय।
जोगी तोड़ै दन्त जब, नाग हाथ में आय।।
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