रविवार, 24 मई 2020

दुपहरी जेठ की

Asharfi Lal Mishra

© कवि:अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर,कानपुर

उपर तपै तरनि,
नीचे तपै अवनि।
कौन विधि बीते,
दुपहरी जेठ की।।

भयभीत है पवन,
चपल नाहीं पात।
कौन विधि  बीते,
दुपहरी जेठ की।।

उमस भरी दुपहरी,
स्वेद लथपथ तन।
कौन  विधि  बीते,
दुपहरी  जेठ  की।।

तरनि देता सन्देश,
निषेधाज्ञा आदेश।
कौन  विधि  बीते,
दुपहरी  जेठ  की।।
         =*=

शनिवार, 2 मई 2020

नीति के दोहे (मुक्तक)

अशर्फी लाल मिश्र 











भ्रष्टाचार 

नौकरशाही      मीडिया ,यदि  गठबंधन   होय। 
समझो भ्रष्टाचार अति , यह जानत सब कोय।।

कोरोना 
 
कोरोना  ने  कर  दिया,हर किसी को अछूत।
 विश्व में आज बढ़ गया, हर जगह छुआ-छूत।।

© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर। 

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...