शनिवार, 28 मार्च 2020

निज गृह की ओर (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपूर ।
Asharfi Lal Mishra











गए  थे  अपना   घर   छोड़कर, 
उदर की भूख मिटाने  के लिए।
आज   वही   विवश    हो    रहे,
वापस   घर   आने   के   लिए।।

जीवन   का  अवसान  जान,
उन्मुख निज  गृह   की ओर।
विवश    हो    रहे   हैं   आज,                     
वापस   घर  आने  के  लिए।।

सिर   पर      है    पोटली,
 साथ       में      संगिनी।
आँखें     अश्रु        पूरित,
वापस घर आने  के लिए।।

भूख        से       व्याकुल,
 पैरों   में   पड़े   हैं   छाले।
कभी आँखें प्रिया की ओर,
वापस घर आने  के लिए।।
           =*=



शुक्रवार, 27 मार्च 2020

कोरोना वायरस (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र












कोरोना  का नाम सुनि , बाल वृद्ध भयभीत। 
भय से घर में जा छिपे , गायें प्रभु के  गीत।।

कोरोना की आज तक ,नहि   कोई   वैक्सीन। 
सब लोग  बेचैन दिखें , ज्यों पानी बिनु मीन।। 

***

मंगलवार, 24 मार्च 2020

प्रकृति का कोप (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 

आतंकवाद  हुआ असह्य , 
हथियारों  की   थी   होड़।

मानवता  रही  थी  कराह ,
कोरोना   का   अभ्युदय।


 दिग्गज   नत   मस्तक,     
सभी  पुकारें त्राहि  त्राहि।

आतंकवादी हुए भूमिगत,
सभी  पुकारें  त्राहि  त्राहि।

वीटो शक्ति ध्वस्त आज,
सभी  पुकारें  त्राहि त्राहि।

अभिमानियों  का मर्दन,
सभी  पुकारें त्राहि त्राहि।

देख कोरोना  का  तांडव,
सभी  पुकारें त्राहि त्राहि।



शनिवार, 21 मार्च 2020

दोहे मुक्तक (जनता कर्फ्यू )

                                                    







© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर। 

कोरोना का  संचरण , वैश्विक  होता  जाय।
एकाकी जीवन  शैली, दिखे सुरक्षित उपाय।।

अपनाना एकांत वास ,कर्फ्यू का सन्देश।
रुके  वायरस संचरण ,दे  उत्तम सन्देश।।











 [22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू का दृश्य]



शुक्रवार, 20 मार्च 2020

कोरोना तांडव

Asharfi Lal Mishra

© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।

कोरोना आहट जानि , पट बंद हुये  आज।
मानो  देवों   के   देव , भयभीत हुये आज।।

चीन देश का  वायरस , या जैविक हथियार।
बचो बचो की लगी रट , जग  में   हाहाकार।।
                             =*=

शनिवार, 14 मार्च 2020

लोकप्रिय नमस्ते


Asharfi Lal Mishra








चीन उत्पाद  कोरोना,
 विश्व   में   हाहाकार।

चलचित्र  या  समारोह
सभी   हुए     स्थगित।

शिक्षण   संस्थाएं  बंद,
स्पर्धायें        स्थगित।

देश  की  सीमायें  सील,
फ्लाइट  भी   स्थगित।

हुआ लोकप्रिय  नमस्ते,
हाथ  मिलाना  स्थगित।


© Asharfi Lal Mishra, Akbarpur, Kanpur.

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

वह मुझे इशारों से बुलाती है शाम ढलने पर









वह    मुझे    इशारों    से   बुलाती   है    शाम   ढलने   पर।
रुपहले सितारों की साड़ी में वह लिपटती है शाम ढलने पर।।

हमारे भोलेपन को देखकर  मुस्कराती  है शाम  ढलने पर।
निशब्द देख निशा छिटककर नृत्य करती शाम ढलने पर।।

[© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर ]

नील परिधान बीच श्वेत सितारे मन भाये शाम ढलने पर।
वह   मुझे    इशारों   में    बुलाती    है    शाम   ढलने   पर।।

निशा  मिलती   निशापति   से  अकेले  में शाम ढलने पर।
वह   मुझे   इशारों   से    बुलाती   है     शाम   ढलने    पर।।


विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...