मंगलवार, 21 जनवरी 2020

नीति के दोहे (मुक्तक )

Asharfi Lal Mishra










राजनीति 
मुजरिम    से   नेता     होय , पावै    आदर    भाव। 
जिमि तांबा मिलि कनक में , बिकै कनक के भाव।। 

राजनीति में प्रविशि कर , वाणी रगड़  नहाय। 
जीवन का सब मैल धुलि ,उत्तम कीरत पाय।।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर। 

बुधवार, 8 जनवरी 2020

है कोई मेरा जो ताप नापै (मुक्तक )

Asharfi Lal Mishra










है  कोई   मेरा  जो  ताप  नापै।
कड़क   सर्दी   में  हाड़    कापै।।

दिनकर         भी           कापै। 
हिमकर        भी          कापै।। 

उडगन की  कोई  मिशाल  नहीं। 
अग्नि   में  भी अब   ताप  नहीं।।

शैया  भी  अब  तो  हिम में डूबी।
अब तो लगता जीवन नैया डूबी।।

है   कोई  मेरा   जो  ताप   नापै।
कड़क   सर्दी    में    हाड़   कापै।। 

© कवि ; अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

नीति के दोहे मुक्तक


Asharfi Lal Mishra 











मशीन

कलयुग में कल की धूम ,कल से होते काम। 
कल से जाए संदेशा  , कल से निकलें दाम।।
 
काला धन 

काले धन से खुल रहे , राजनीति के द्वार। 
जनता को गुमराह कर , चाह सदन दरबार।। 

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...