मंगलवार, 21 जनवरी 2020

नीति के दोहे (मुक्तक )

Asharfi Lal Mishra










राजनीति 
मुजरिम    से   नेता     होय , पावै    आदर    भाव। 
जिमि तांबा मिलि कनक में , बिकै कनक के भाव।। 

राजनीति में प्रविशि कर , वाणी रगड़  नहाय। 
जीवन का सब मैल धुलि ,उत्तम कीरत पाय।।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर। 

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नीति के दोहे मुक्तक

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