गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

नीति के दोहे (मुक्तक)

Aharfi Lal Mishra 











जनतंत्र  राजहि  नेता ,वन  राजहि वनराज।
दोनों  गरजें  राज   में ,करते  अपना   राज।।

अपने को  हानि न कोय , मन में करो विचार।
किसी   के   बहकावे   में, मत बनिये हथियार।।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

ठंढी करवा दीं चिमनियाँ कारखानों की

Asharfi Lal Mishra











कभी  कानपुर  गौरव  था  भारत का,
कहा जाता था मैनचेस्टर  भारत का। 

मजदूरों  पर  निगाह  पड़ी एक  नेता की,
ठंढी करवा दीं  चिमनियाँ कारखानों की।

मजदूर   हैं   वोट     बैंक,
मिलता   है    आश्वासन।

होगा मिलों का  पुनुरुद्धार,
पर   हालात  नहीं  बदले।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर,कानपुर।  

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

शीत लहर(मुक्तक)

Asharfi Lal Mishra










शीत     लहर ,   अपनी      डगर ,
मस्ती में झूमती चली आ  रही है। 

 महा   निर्दयी ,  भृकुटी    चढ़ाये,
बाहें   फैलाये   चली   आ  रही  है।

बूढ़ों   को   देख ,  आँखे    तरेरती,
मानो   खाने  को  चली आ रही है।

शीत   लहर    के    परम्     मित्र,
हे   पवन   देव   विनती   सुनिये।

छोड़    दो   साथ   शीत  लहर  का,
घर  में   छिपकर    मीत   बनिये।

सूरज    देव     भी    साथ    नहीं,
बूढ़े  अब  अग्नि  के  शरण  गये।

© कवि: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।


मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

तुम वादे पर वादा करते रहे

Asharfi Lal Mishra










तुम    वादे   पर   वादा   करते    रहे ,
हम   पलक    पाँवड़े   बिछाये    रहे।

तुम अगमनीय  पथ पर   विचरते  रहे,
हम गमनीय पथ पर दृष्टि लगाये रहे।

तुम्हारे    लिए    हम    व्याकुल    रहे,
दर्शन    को   अब   तक    लाले    रहे। 

अब  तक    नाथ    तुम   आये    नहीं,
हम   पथ   पर   दृष्टि   गड़ाये     रहे।

झूँठों   में   गिनती      होगी    तुम्हारी,
अब  'लाल' का वादा निभाने  की बारी।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।









रविवार, 1 दिसंबर 2019

अब रूप खुले बाजार बिकै

Asharfi Lal Mishra











पहले   रूप    परदे    में    था,
अब  रूप  खुले बाजार बिकै।

जहाँ पहले रूप  अमूल्य रहा,
अब रूप का मोल भाव दिखै।

 पहले  एक  मुस्कान  से  ही,
लोग   आपहिं  आप    बिकैं।

अब  बिक्री  हेतु डेटिंग होती,
डेटिंग  पर   भी  नाहि  बिकै।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर। 

विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...