Asharfi Lal Mishra |
तुम वादे पर वादा करते रहे ,
हम पलक पाँवड़े बिछाये रहे।
तुम अगमनीय पथ पर विचरते रहे,
हम गमनीय पथ पर दृष्टि लगाये रहे।
तुम्हारे लिए हम व्याकुल रहे,
दर्शन को अब तक लाले रहे।
अब तक नाथ तुम आये नहीं,
हम पथ पर दृष्टि गड़ाये रहे।
झूँठों में गिनती होगी तुम्हारी,
अब 'लाल' का वादा निभाने की बारी।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।
तुम अगमनीय पथ पर विचरते रहे,
हम गमनीय पथ पर दृष्टि लगाये रहे।
तुम्हारे लिए हम व्याकुल रहे,
दर्शन को अब तक लाले रहे।
अब तक नाथ तुम आये नहीं,
हम पथ पर दृष्टि गड़ाये रहे।
झूँठों में गिनती होगी तुम्हारी,
अब 'लाल' का वादा निभाने की बारी।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।
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