शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

दोहे जनतंत्र पर

 --अशर्फी लाल मिश्र

 
अशर्फी लाल मिश्र 







मुफ्त  योजनाएं  फलित,कर्ज  हो  रहे  माफ।

प्रभावित  होये   विकास,सत्ता  मारग   साफ।।

राजनीति व्यापार जनु , जो निज हित में मान।

विरला  ही  कोई  दिखे, ता  जनहित  मे जान ।।

 दर्शन जनप्रतिनिधि नाहि,होते   सालों    साल।

अब   धन्यवाद   भी   बंद, जनता  लिये मशाल।।


-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.



बुधवार, 27 अप्रैल 2022

है लगा अभी वैशाख

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 







है   लगा    अभी   वैशाख,

दिनकर उगल  रहा है आग।

पशु  पक्षी  सब  ढूढ़े  छाया,

सभी   लगाये  भागम  भाग।।


पश्चिम   मारुत  ऐसे   बहता,

मानो   मारुत   मारै     चाटा।

कोई  गश  खाकर भूमि पड़ा,

कोई    छोड़े   जीवन    नाता।।


-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी  लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

चरित्र दर्शन

-अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






चरित्र     देखना   है,

नशे     में      देखिये.

धन   का   नशा   हो,

तब    चरित्र   देखिये.

ओहदे का  नशा   हो,

बेनक़ाब चरित्र देखिये.

शराब   का  नशा   हो

असली  चरित्र  देखिये.

-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.


बुधवार, 20 अप्रैल 2022

आँखें हमारी नीची न हों

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






बुराई करो,

दुश्मनी करो, 

जम के करो।

पर रहे ख्याल इतना,

जब हों आमने सामने,

आँखे हमारी नीची न हों ।।


-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.



रविवार, 17 अप्रैल 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






सुख -शांति 

जिस  घर   गुस्सा   वासना, मन  में  लालच  होय.

उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय..

शुभ काम 

मर्यादित  रखो  भाषा, घर में हो शुभ काम.

आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम..


--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.

सोमवार, 11 अप्रैल 2022

अमर लेखनी

 -अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र







कितनों ने  किया है त्याग ,

कितनों ने किया बलिदान।

कितने मर  कर  जीवित है,

कितनों  का  मिटा  निशान।।

लेखनी  के  द्वारा ,

 लोग  बने  महान।

कोई बना देव तुल्य,

कोई बना भगवान।।

- अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।





मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र







नेता पुलिस रिपोरटर, या अधिवक्ता होय।

इनसे  सदा  सावधान,भेद  राखिए   गोय।।

-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

नीति के दोहे मुक्तक

  द्वारा -- अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र





                

                   संत

संत उसे ही मानिये, मन से उज्ज्वल होय।

मानवता का तत्व हो, द्वेष भाव नहि कोय।।


-- अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर,कानपुर।


 

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...