शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

दोहे जनतंत्र पर

 --अशर्फी लाल मिश्र

 
अशर्फी लाल मिश्र 







मुफ्त  योजनाएं  फलित,कर्ज  हो  रहे  माफ।

प्रभावित  होये   विकास,सत्ता  मारग   साफ।।

राजनीति व्यापार जनु , जो निज हित में मान।

विरला  ही  कोई  दिखे, ता  जनहित  मे जान ।।

 दर्शन जनप्रतिनिधि नाहि,होते   सालों    साल।

अब   धन्यवाद   भी   बंद, जनता  लिये मशाल।।


-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.



2 टिप्‍पणियां:

  1. सच सत्‍ता हथियाने क्‍या-क्‍या हथकंडे नहीं अपनाते येे राजनीति के गलियारों में बैठे महानुभाव,

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विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...