सोमवार, 17 जनवरी 2022

कोहरे की अब दादागीरी

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र


लगा माघ शीत अति भारी,

कैसे बिताऊँ ठंढ अनियारी।

हाड़   कांपै   अग्नी   सीरी,

कोहरे  की  अब  दादागीरी।

शीत    मीत    पवन   देव,

निकल  पड़े  हैं  धीरे  धीरे।

अवसर देख मेघ आ धमके,

बूंदे   झरती     धीरे    धीरे।

दिन रात में नाहीं कोई अंतर,

दिनकर   मानो   छू   मंतर।


रचयिता: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर,कानपुर।

 

रविवार, 16 जनवरी 2022

राजनीति पर दोहे मुक्तक

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






राजनीति  की  नाव पर ,  चढ़ता जो असवार।

पिछड़े दलित शब्द सदा , राखै   दो   पतवार।।


रचयिता: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।


रविवार, 9 जनवरी 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र





                  

            

                      माता

जननी से माता बड़ी, जिसने पालन कीन्ह।

मातु यशोदा हर कंठ,देवकी  जन्म   दीन्ह।।

                  परिवर्तन

बदल रही है संस्कृती, बदल रहा है देश।

माता  पिता   देश  में, बेटा बसा विदेश।।

                     कर्तव्य      

मातु पिता सेवा नाहि , सेवा  कैसे होय।

जैसा  तेरा   कर्म  हो,फल मिलेगा सोय।।

                   

कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र






            धैर्य 

विपरीत परिस्थिति जानि , धीरज राखै धीर।

 अनुकूल परिस्थिति होय ,जो सुमिरै रघुवीर।।   


कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

                   *****

गुरुवार, 6 जनवरी 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 कवि : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर,कानपुर।

Asharfi Lal Mishra






                       विद्या

विद्या  सदा  उसे    मिले, जिसे न घर का राग।

पल पल का मूल्य समझे,सुख का करता त्याग।।


                    ★★★★★

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...