रविवार, 9 जनवरी 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र





                  

            

                      माता

जननी से माता बड़ी, जिसने पालन कीन्ह।

मातु यशोदा हर कंठ,देवकी  जन्म   दीन्ह।।

                  परिवर्तन

बदल रही है संस्कृती, बदल रहा है देश।

माता  पिता   देश  में, बेटा बसा विदेश।।

                     कर्तव्य      

मातु पिता सेवा नाहि , सेवा  कैसे होय।

जैसा  तेरा   कर्म  हो,फल मिलेगा सोय।।

                   

कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!सभी दोहे सराहनीय सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. अति उत्तम क़ाबिल ए तारीफ़ गुरूवर

    जवाब देंहटाएं

विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...