द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
माता
जननी से माता बड़ी, जिसने पालन कीन्ह।
मातु यशोदा हर कंठ,देवकी जन्म दीन्ह।।
परिवर्तन
बदल रही है संस्कृती, बदल रहा है देश।
माता पिता देश में, बेटा बसा विदेश।।
कर्तव्य
मातु पिता सेवा नाहि , सेवा कैसे होय।
जैसा तेरा कर्म हो,फल मिलेगा सोय।।
कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक दोहे!
जवाब देंहटाएंमनीषा जी बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंवाह!सभी दोहे सराहनीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार एवं साधुवाद।
हटाएंअति उत्तम क़ाबिल ए तारीफ़ गुरूवर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
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