लेखक : अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
राजनीति की नाव पर , चढ़ता जो असवार।
पिछड़े दलित शब्द सदा , राखै दो पतवार।।
रचयिता: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख से जब सूना, दर्शन करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-01-2022 ) को 'आने वाला देश में, अब फिर से ऋतुराज' (चर्चा अंक 4312) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत आभार।
हटाएंबिलकुल सटीक ।मैने भी राजनीति पर कविता डाली है ब्लॉग पे । समय हो तो ब्लॉग पर भ्रमण करें आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत सुंदर दोहा।
जवाब देंहटाएंसादर
मनभावन टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार।
हटाएंबिल्कुल सही कहा आपने! बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनभावन टिप्पणी।बहुत बहुत आभार।
हटाएंदलित और पिछड़ों को आगे बढ़ाते सत्तर साल हो गए वे तो पीछे ही रह गए बहुत से लोग आगे बढ़ गए
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंसत्य कहा ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
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