बुधवार, 30 अगस्त 2023

विप्र सुदामा - 17

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


अशर्फी लाल मिश्र 






देख    सुदामा   ड्योढ़ी   खडे,

धाये   श्याम   मिले   थे   गले। 

अंसुओं की बहे अविरल  धार, 

मनो गंगा  यमुना  पावन  धार।।


आँखों   में   अश्रु    ऐसे   बहें,

मनु  सावन  स्याम  मेघ झड़ी।

मुँह   से    निकले   शब्द  नहीँ,

अश्रु  कह  रहे  बात अनकही।।


देख   सुदामा  कृष्ण  मिलन,

वर्षा  कर  रहे  त्रिदेव  सुमन।

देव  लोक   से    ऐसे   बरसे,

नंदन  कानन   रिक्त   सुमन।। 


सुदामा  कृष्ण  मित्र  ही  नहीँ,

वह  तत्व  ज्ञानी  ब्राह्मण  था। 

ड्योढ़ी  पर  आये  ब्राह्मण का,

स्वागत   करना   राजधर्म  था।।


कृष्ण  की  अश्रु   धारा   कहे,

मित्र हम  कभी भी  भूले नहीँ।

कृष्ण   मनहि   मन  पश्चाताप,

सुदामा की सुधि ली क्यों नहीँ।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर ।©




सोमवार, 28 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -16

 Author : Asharfi Lal Mishra, Akbarpur, Kanpur.

Asharfi Lal Mishra 







राज काज  में  ऐसे डूबे,

कृष्ण भूले मित्र सुदामा।

द्वारपाल ने  दिया संदेश,

राजन ड्योढ़ी विप्र एक।।


आधी  धोती  कमर  पर, 

आधी  उसके  कंधे  पर।  

पैर उपानहि  नहि  उसके,

हाथ में साधे  टेढ़ी  लाठी। 


सिर उसके है  शिखा बंधी, 

वाणी में  है उसकी कड़क।

राजन  का नाम  ले  कहता, 

कान्हा  मेरे   हैँ   सहपाठी।। 


जाओ  शीघ्र  विप्रहि पास,

पूछो उसका नाम  निवास।

आपन नाम बताये  सुदामा, 

पुरीसुदामा   कहे   निवास।।


सुनत  नाम   सुदामा   का, 

धाये   कान्हा    नंगे    पैर।

आगे  आगे   दौड़ें   कान्हा, 

पीछे      पीछे     द्वारपाल।।

Author : Asharfi Lal Mishra, Akbarpur, Kanpur, India.©

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

चंद्रयान चाँद पर

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







तेईस अगस्त सन तेइस था,

जब  यान  उतरा  चाँद  पर।

सारी  दुनियाँ  अचंभित  थी,

यान उतरा दक्षिणी ध्रुव पर।।


अंतरिक्ष  में  उपलब्धि  पाई,  

उतरा  यान दक्षिणी ध्रुव पर।

सारा  भारत  उमड़  पड़ा था,

इंटरनेट    के   जाल     पर।।


बढ़ गया मान अब भारत का,

विश्व में हुआ  नाम इसरो का।

थी विज्ञानियों की कड़ी मेहनत,

दिन था भारत के उल्लास का।।

लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

बुधवार, 23 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -15

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






काल चक्र का घूमा पहिया,

मेधावी  था  बना भिखारी।

वाक  नीति  जो कुशल था,

अब वह था सिंहासनधारी।।


तत्व ज्ञानी ब्राह्मण सुदामा,

कृष्ण जानहि द्वारिका भूप।

कान्हा प्रेम में  सदा हि पगे,

लालच  नाही  सुदामा हिये।।


एक पल भी ऋषि के आश्रम,

नहिं दूर हुये थे कृष्ण सुदामा।

घूमा  पहिया  काल  चक्र का,

कृष्ण   भूले   मित्र    सुदामा।।


कृष्ण  सदा   ही  व्यस्त  रहे,

नीति  अनीति  के  जाल  में।

अनीति  से  रखी  दूरी  सदा,

सदा  रहे  नीति  के  साथ  में।।


कान्हा   थे    नृपति   द्वारिका,

कभी न  आई   मित्र  की याद।

विप्र  सुदामा  को  हर  पल ही,

कृष्ण की आती रहती थी याद।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© 




मंगलवार, 22 अगस्त 2023

विप्र सुदामा - 14

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


अशर्फी लाल मिश्र 






प्रख्यात  शाला उज्जयिनी, 

संदीपन     ऋषि  आश्रम।

कृष्ण सुदामा थे  सहपाठी, 

जँह   शिक्षा  पाई   सश्रम।।


अति निर्धन  शिष्य सुदामा,

पढ़ने  में  अति  मेधावी थे।

आश्रम  के  सब  शिष्यों में,

गुरु प्रिय  शिष्य  सुदामा थे।।


कृष्ण  राज  घराने   से  थे,

सेवा  भाव   में   आगे   थे।

आश्रम  के  सब शिष्यों  में,

गुरु माता को अति प्यारे थे।।


भिक्षाटन   को  जाना   हो, 

कृष्ण सुदामा  साथ  साथ।

समिधा   लेने    जाना   हो,

कानन  जाते   साथ  साथ।।


सुदामा   रहते   थे   गंभीर,

कृष्ण  स्वभाव   से  चंचल।

फिर  भी   मित्रता  दोनों  में,

सदा   रही  अटल   अविरल।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

बुधवार, 16 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -13

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।



अशर्फी लाल मिश्र 







द्वारपाल  पूंछहि   सुदामा,

कैसे आये  राजा  के द्वार।

हम  सुदामा   स्वाभिमानी,

लालच   नाही    मेरे   हिये।।


कान्हा  हमारे  हैं   सहपाठी,

पढ़ते उज्जयिनी साथ साथ।

गुरु    संदीपनि   आश्रम  में,

शिक्षा    पाई    साथ   साथ।।


मन  में  जागी  प्रीति  मिलन,

इस सोच  से द्वारिका  आया। 

जाकर   कह   दो  कान्हा  से,

विप्र     सुदामा    है     आया।।


द्वारपाल   ने    जाना    जब,

विप्र  राजा   का    सहपाठी।

बार   बार  कर  रहा दण्डवत,

बार     बार     मांगे     माफी।।


अभी  तक  सुदामा  थे  खड़े,

अब   बैठे    सादर    आसन।

द्वारपाल   उस    ओर    दौड़ा,

जँह    कृष्ण   बैठे    सिंहासन।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

नीति के दोहे मुक्तक

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






क्रोध

क्रोध  बैरी  आपन का, आपन ही तन खाय।

घर में सदा अशांति हो, रक्त  चाप बढ़ जाय।।


लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

रविवार, 13 अगस्त 2023

विप्र सुदामा - 12

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







कदम निकल  रहे  तेजी से,

मन में लागी कान्हा मिलन।

दायें   बायें  थे  भव्य भवन,

सुदामा चकित  आपन मन।।


रास्ता  पूँछत जाहि सुदामा,

कितनी  दूर   है  राजमहल।

सम्मुख देखी  एक  पट्टिका,

मार्ग    जाता     राजमहल।।


अब धीरे  धीरे चले  सुदामा,

पहुँच गये  थे महल के द्वार।

कहो  भिखारी  अपनी बात,

कैसे  आये  महल  के  द्वार।।


क्या किसी ने तुम्हें सताया?

दूत भेज  उसको  बुलवाऊँ।

राजा  सम्मुख  प्रस्तुत  कर,

दण्ड  उचित उसे  दिलवाऊँ।।


भोजन  वस्त्र  या धन चाहो,

उसे   दिलाऊँ  शीघ्र   अभी।

या  लाये  हो   कोई  सन्देश,

सुनाऊँ जाकर  शीघ्र   अभी।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© 

गुरुवार, 10 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -11

 -- लेखक: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर देहात।

अशर्फी लाल मिश्र 






द्वारपाल  से  कहें  सुदामा,

लालच   नाही   मेरे   हिये।

कान्हा  हमारे  बाल  सखा,

मिलन  की इच्छा  मेरे हिये।।


कान्हा  द्वारिका  के  राजा,

तुम हो  साधारण भिखारी।

मित्रता होय  सदा समता में,

राजा  मीत  कैसे   भिखारी।।


कान्हा   हमारे  हैं  सहपाठी,

उज्जयिनी में थे साथ साथ।

संदीपनि   गुरु   आश्रम   में,

शिक्षा   पाई    साथ    साथ।।


द्वारपाल   ने   जब    जाना,

विप्र  द्वारिकाधीश सहपाठी।

द्वारपाल  अब  करे   दंडवत,

बार  बार  मांगे  अब  माफी।।


विप्र जा मिलो द्वारिकानाथ,

मत करियो  शिकायत  मेरी।

विप्र!  विनती   है  मेरी  एक,

मत करियो  शिकायत  मेरी।।

Author : Asharfi Lal Mishra,Akbarpur, Kanpur Dehat.






मंगलवार, 8 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -10

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


अशर्फी लाल मिश्र 






द्वारपाल  पूंछहि  सुदामा।

विप्र! कैसे  पुरी  के  द्वार?


क्या किसी ने तुम्हे सताया।

पकड़  बुलाऊँ  शीघ्र अभी।।


विप्र  अब   भोजन  करिये।

ताज़ा  बना है अभी  अभी।।


अभी लाया मैं जामा पगड़ी।

पहनो  जामा  बाँधो  पगड़ी।।


पैरों   में   पहनिये    विप्रवर!

काष्ठ        पादुका     सुन्दर।।


तन    में    होये   रोग    यदि।

वैद्य    बुलाऊँ   शीघ्र   अभी।।


धन   की   इच्छा   होय  यदि। 

शीघ्र   बताओ   विप्र    अभी।।


सुदामा    थे     निस्पृह   भाव।

मन    में  नहीं  थी  कोई  चाव।।


द्वारपाल     था     समझ   रहा।

यह  कोई  सामान्य  भिखारी है।।


सुदामा   ब्राह्मण   तत्व    ज्ञानी। 

लालच   रहित  अरु स्वाभिमानी।।


Author : Asharfi Lal Mishra, Akbarpur, Kanpur.

शनिवार, 5 अगस्त 2023

विप्र सुदामा - 9

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






देख  द्वारिकापुरी  का द्वार,

मन में  छाई  खुशी  अपार।

धीरे धीरे अब  चले सुदामा,

जा  पहुँचे   नगरी  के द्वार।।


द्वारपाल    पूँछहि    सुदामा,

कहाँ से  आये  तुम भिखारी।

यह  कान्हा  की  द्वारिकापुरी,

भिखारी  नाही  कोई  नगरी।। 


इस  नगरी   में  सभी  सुखी  हैं,

कभी  न   होती  मृत्यु  अकाल।

सब को मिले वस्त्र अरु भोजन, 

दूध  दही   मिलता  सब  काल।।


फूल  फलों  से  युक्त  द्वारिका,

सदा   बहे    दूध    की    धार।

सुसज्जित हैं आवास सभी के, 

यातायात  को  हैं  रथ  अपार।।


सब   के   घर   बजे   बधाई,

सब   के घर  हो  मंगल गीत।

ना   कोई   काहू    का   बैरी,

सभी  आपस   में   हैं  मीत।।


-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


गुरुवार, 3 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -8

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







चलते चलते थके सुदामा।

लेट  गये  थे  अवनि   पर।।


दूभ घास मखमल चादर।

डुलाये पंख पवन सादर।।


मानव गंध पहुँची कानन।

वनराज पास आ धमका।।


देख  सुदामा  भूमि पर।

सिंह भी बैठा भूमि पर।।


गहरी  नींद  सुदामा   थे।

मन  में  बसे  कान्हा  थे।।


ब्रह्म मुहूर्त  का  समय था।

खुल गई नींद सुदामा की।।


उडगन भी  विलुप्त हो रहे। 

 नभ  में  थे  अब धीरे धीरे।।


सुदामा  बैठा  देख  अकेले।

ऊषा   मुस्काये   धीरे   धीरे।।


सुदामा ने आँखे खोली अब।

ध्यान  से  देखा  इधर  उधर।।


दिख रही  पताका  सम्मुख थी।

द्वार पर लिखा था द्वारिकापुरी।। 

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर।©

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...