बुधवार, 30 अगस्त 2023

विप्र सुदामा - 17

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


अशर्फी लाल मिश्र 






देख    सुदामा   ड्योढ़ी   खडे,

धाये   श्याम   मिले   थे   गले। 

अंसुओं की बहे अविरल  धार, 

मनो गंगा  यमुना  पावन  धार।।


आँखों   में   अश्रु    ऐसे   बहें,

मनु  सावन  स्याम  मेघ झड़ी।

मुँह   से    निकले   शब्द  नहीँ,

अश्रु  कह  रहे  बात अनकही।।


देख   सुदामा  कृष्ण  मिलन,

वर्षा  कर  रहे  त्रिदेव  सुमन।

देव  लोक   से    ऐसे   बरसे,

नंदन  कानन   रिक्त   सुमन।। 


सुदामा  कृष्ण  मित्र  ही  नहीँ,

वह  तत्व  ज्ञानी  ब्राह्मण  था। 

ड्योढ़ी  पर  आये  ब्राह्मण का,

स्वागत   करना   राजधर्म  था।।


कृष्ण  की  अश्रु   धारा   कहे,

मित्र हम  कभी भी  भूले नहीँ।

कृष्ण   मनहि   मन  पश्चाताप,

सुदामा की सुधि ली क्यों नहीँ।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर ।©




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