रविवार, 28 जून 2020

अभिलाषा (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र
ईश हमारी यह अभिलाषा,
तन में रहे जब तक श्वासा।
सुख  दुख में सम भाव रहे,
 प्रभु  चरणों  की चाव रहे।।

खाने  को  जो भी  मिले,
उसमें मन मेरा संतुष्ट रहे।
कपड़ों की कोई चाह नहीं,
बस केवल तन ढका रहे।।

घर  के   एक   कोने  में,
सदैव  शयन   होता  रहे।
अपनों  का  मधुर  गुंजन,
कानों में सदा पड़ता रहे।।

शनिवार, 27 जून 2020

भ्रष्टाचार (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर
अशर्फी लाल मिश्र

भ्रष्ट का हो अपना जगत,
रूप उसका बगुला भगत।
दृष्टि उसकी पैनी यथा ,
बक को दिखती मीन सदा।।

गुरुवार, 18 जून 2020

नीति के दोहे (मुक्तक)


अशर्फी लाल मिश्र

© कवि-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर
स्वभाव
हिंसक पशु या  गंवार, बर्रय   छत्ता   होइ।
'लाल' कहें  दूरी  रखो, मत छेड़ो इन कोइ।।
संस्कृति
बदल रही है संस्कृति, बदल रहा इंसान।
बेटा बेटा  अब   नहीं, बेटी  बेटा  जान।।

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...