बुधवार, 23 अगस्त 2023

विप्र सुदामा -15

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






काल चक्र का घूमा पहिया,

मेधावी  था  बना भिखारी।

वाक  नीति  जो कुशल था,

अब वह था सिंहासनधारी।।


तत्व ज्ञानी ब्राह्मण सुदामा,

कृष्ण जानहि द्वारिका भूप।

कान्हा प्रेम में  सदा हि पगे,

लालच  नाही  सुदामा हिये।।


एक पल भी ऋषि के आश्रम,

नहिं दूर हुये थे कृष्ण सुदामा।

घूमा  पहिया  काल  चक्र का,

कृष्ण   भूले   मित्र    सुदामा।।


कृष्ण  सदा   ही  व्यस्त  रहे,

नीति  अनीति  के  जाल  में।

अनीति  से  रखी  दूरी  सदा,

सदा  रहे  नीति  के  साथ  में।।


कान्हा   थे    नृपति   द्वारिका,

कभी न  आई   मित्र  की याद।

विप्र  सुदामा  को  हर  पल ही,

कृष्ण की आती रहती थी याद।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© 




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