Asharfi Lal Mishra |
पहले रूप परदे में था,
अब रूप खुले बाजार बिकै।
जहाँ पहले रूप अमूल्य रहा,
अब रूप का मोल भाव दिखै।
पहले एक मुस्कान से ही,
लोग आपहिं आप बिकैं।
अब बिक्री हेतु डेटिंग होती,
डेटिंग पर भी नाहि बिकै।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।
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