रविवार, 1 दिसंबर 2019

अब रूप खुले बाजार बिकै

Asharfi Lal Mishra











पहले   रूप    परदे    में    था,
अब  रूप  खुले बाजार बिकै।

जहाँ पहले रूप  अमूल्य रहा,
अब रूप का मोल भाव दिखै।

 पहले  एक  मुस्कान  से  ही,
लोग   आपहिं  आप    बिकैं।

अब  बिक्री  हेतु डेटिंग होती,
डेटिंग  पर   भी  नाहि  बिकै।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विप्र सुदामा - 38

  कवि एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943------) इसी  बीच आ गई  सुशीला, देखा बच्चे थे पितु चरणों में । कर जो...