Asharfi Lal Mishra |
कभी कानपुर गौरव था भारत का,
कहा जाता था मैनचेस्टर भारत का।
मजदूरों पर निगाह पड़ी एक नेता की,
ठंढी करवा दीं चिमनियाँ कारखानों की।
मजदूर हैं वोट बैंक,
मिलता है आश्वासन।
होगा मिलों का पुनुरुद्धार,
पर हालात नहीं बदले।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर,कानपुर।
कहा जाता था मैनचेस्टर भारत का।
मजदूरों पर निगाह पड़ी एक नेता की,
ठंढी करवा दीं चिमनियाँ कारखानों की।
मजदूर हैं वोट बैंक,
मिलता है आश्वासन।
होगा मिलों का पुनुरुद्धार,
पर हालात नहीं बदले।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर,कानपुर।
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