मंगलवार, 24 मार्च 2020

प्रकृति का कोप (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 

आतंकवाद  हुआ असह्य , 
हथियारों  की   थी   होड़।

मानवता  रही  थी  कराह ,
कोरोना   का   अभ्युदय।


 दिग्गज   नत   मस्तक,     
सभी  पुकारें त्राहि  त्राहि।

आतंकवादी हुए भूमिगत,
सभी  पुकारें  त्राहि  त्राहि।

वीटो शक्ति ध्वस्त आज,
सभी  पुकारें  त्राहि त्राहि।

अभिमानियों  का मर्दन,
सभी  पुकारें त्राहि त्राहि।

देख कोरोना  का  तांडव,
सभी  पुकारें त्राहि त्राहि।



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