Asharfi Lal Mishra |
उपर तपै तरनि,
नीचे तपै अवनि।
कौन विधि बीते,
दुपहरी जेठ की।।
भयभीत है पवन,
चपल नाहीं पात।
कौन विधि बीते,
दुपहरी जेठ की।।
उमस भरी दुपहरी,
स्वेद लथपथ तन।
कौन विधि बीते,
दुपहरी जेठ की।।
तरनि देता सन्देश,
निषेधाज्ञा आदेश।
कौन विधि बीते,
दुपहरी जेठ की।।
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