बुधवार, 14 दिसंबर 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943------)







पिता जिसका रत्नाकर, बहन  लक्ष्मी  होय।

ऐसा शंख होय भिक्षुक, भीख न देता कोय।।1।।

सौ  सुत  से  उत्तम   एक , जो  होवे  वागीश।

जिमि इक चंदा तिमिर हर, कहलाये रजनीश।।2।।

प्रसंगानुसार      भाषण,शक्ति अनुसार क्रोध।

प्रकृति के अनुकूल प्रिय, बुद्धिमान कह शोध।।3 ।।

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।


8 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...