लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) |
उठो लाल तुम सुबह सुबह,
कलियाँ मुस्काती सुबह सुबह।
मोती बिखरे हैँ पात पात पर,
उठो लाल तुम सुबह सुबह।
दिनकर अपने सहस्त्र करों से,
मोती चुनता सुबह सुबह।
नित ऊषा मुस्काये सुबह सुबह,
उठो लाल तुम सुबह सुबह।
प्रणवायु का खुला खजाना,
भर लो झोली सुबह सुबह।
चिड़ियाँ चहकें नित मीठे बोल,
उठो लाल तुम सुबह सुबह।
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
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