रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943------) |
नाथ! हम मान रही हैँ,
सारथी कुशल हैँ आप।
निज रक्षा में भी समर्थ,
वाक कुशल भी हैँ आप।।
नाथ बिनु राजा का देश,
कभी शोभित होता नहीं।
जिमि भव्य मन्दिर हो बना,
कलश बिनु शोभित नहीं।।
प्रिये तुम देखो राज काज,
हम जाना चाहें पुरी सुदामा।
द्वारिका होगी नहीं अनाथ,
राज काज सब देखें भामा।।
जब जब जाऊँ शैय्या पर,
कानों में ध्वनि गूँजा करती।
कान्हा कान्हा मीठी ध्वनि,
सदा कानों में गूँजा करती।।
प्रिये मीत हमारे बीतरागी,
अपने में रहते मगन सदा।
मन में हो रही प्रबल इच्छा,
दर्शन हित जाऊँ यदा कदा।।
रनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 6 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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आभार आपका।
हटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही मोहक सृजन
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
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