-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
देख द्वारिकापुरी का द्वार,
मन में छाई खुशी अपार।
धीरे धीरे अब चले सुदामा,
जा पहुँचे नगरी के द्वार।।
द्वारपाल पूँछहि सुदामा,
कहाँ से आये तुम भिखारी।
यह कान्हा की द्वारिकापुरी,
भिखारी नाही कोई नगरी।।
इस नगरी में सभी सुखी हैं,
कभी न होती मृत्यु अकाल।
सब को मिले वस्त्र अरु भोजन,
दूध दही मिलता सब काल।।
फूल फलों से युक्त द्वारिका,
सदा बहे दूध की धार।
सुसज्जित हैं आवास सभी के,
यातायात को हैं रथ अपार।।
सब के घर बजे बधाई,
सब के घर हो मंगल गीत।
ना कोई काहू का बैरी,
सभी आपस में हैं मीत।।
-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
वाह.
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
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