शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

दोहे ऊषा सौन्दर्य पर

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


अशर्फी लाल मिश्र






गालों पर लाली दिखे, बिंदी उसके भाल।

नित्य बुलाये विहस कर, आओ मेरे लाल।।1।।

देय  समय  पालन  शिक्षा, कभी  न  होती   लेट।

बिनु वाणी बिनु कलम के, बिना अक्षर बिनु स्लेट।।2।।

चिर सुहागिन प्रकृति से, सदा हि बिंदी भाल।

बिना जाति बिनु धर्म के, मनु  ऊषा  वाचाल।।3।।

-- लेखक एवं रचनाकार :अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर,

 कानपुर । ©

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विप्र सुदामा - 56

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख  से जब  सूना, दर्शन  करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...