सोमवार, 23 जनवरी 2023

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र








भेदभाव 

पुत्री  सबको  मन  भावै, बहु को सेवक जान।

जिहि घर बहुयें प्रिय लगें, ता घर स्वर्ग समान।।1।।

दृढ़ता

मन में दृढ़ता होय यदि, शिखरहु पद तल मान।

मन में दृढ़ता होय नहि, असफल जीवन जान।।2।।

जल 

औषधि है जल अपच में, पचने  पर बल देय।

भोजन  में   पीयूष   सम,भोजनान्त विष पेय ।।3।।

-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।©


6 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 56

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