-- अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
भेदभाव
पुत्री सबको मन भावै, बहु को सेवक जान।
जिहि घर बहुयें प्रिय लगें, ता घर स्वर्ग समान।।1।।
दृढ़ता
मन में दृढ़ता होय यदि, शिखरहु पद तल मान।
मन में दृढ़ता होय नहि, असफल जीवन जान।।2।।
जल
औषधि है जल अपच में, पचने पर बल देय।
भोजन में पीयूष सम,भोजनान्त विष पेय ।।3।।
-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।©
छोटी सी सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएंआपकेअन दोहों में स्वस्थ जीवन का मर्म छुपा है मिश्र जी, प्रणाम, बसंत आगमन की आपको ढेर सारी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसपरिवार सुखी रहो ।
हटाएंबहुत ही सुंदर एवं सार्थक दोहे ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
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